स्थानीय RTI कार्यकर्ता करन रावत ने जून 2025 के पहले सप्ताह में आरटीआई के तहत जवाब प्राप्त किया, जिसमें सामने आया कि एक ही परिवार के तीन सदस्यों के नाम पर जिले के विभिन्न ब्लॉकों में सफाई के ठेके स्वीकृत किए गए। जबकि उनके पास ना कोई पूर्व अनुभव था और ना ही किसी तरह की कानूनी पात्रता।
2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि हर ब्लॉक में औसतन दो सफाई कर्मचारी नियुक्त दिखाए गए, जिन्हें ₹15,000 मासिक और VIP ड्यूटी व दुर्गम क्षेत्रों में तैनात 10 कर्मचारियों को ₹30,000 तक मासिक भुगतान किया गया। लेकिन धरातल पर ना ऐसे कर्मचारी मिले और ना ही कार्य।
आरोप है की एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका इस पूरे खेल में सामने आई है, जो फिलहाल निलंबन की स्थिति में हैं। अधिकारी ने उपनल कर्मी की पत्नी के नाम से खाता खुलवाकर उसी के माध्यम से सफाई कार्यों का टेंडर पास करा दिया। खास बात यह है कि महिला या उसके परिवार को ना टेंडर की जानकारी थी और ना ही किसी वैधानिक दस्तावेज ,
वहीँ पौड़ी की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा है:“मामले की जांच जारी है। गढ़वाल कमिश्नर से पत्रावली मिली है, संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन किया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”