वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, श्री नवनीत सिंह* द्वारा जानकारी दी गई कि हरिद्वार, उत्तराखंड निवासी जो सिंचाई विभाग में नहर परियोजना में अधीनस्थ अभियंता के पद से सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिक द्वारा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून में सूचना दर्ज करायी कि एक विदेशी नंबर से कॉल आई जिसमें खुद को CBI और मुंबई पुलिस अधिकारी बताया गया। उसे झूठे आरोप (मनी लॉन्ड्रिंग) में फंसाने की धमकी दी गई। धमकी व डराकर मुझे और मेरी पत्नी के बैंक खाते, एफडीआर, पीपीएफ आदि की जानकारी ली गई।फर्जी सुप्रीम कोर्ट और गिरफ्तारी वारंट के नाम पर उसे वीडियो कॉल से डराकर *₹1.45 करोड़* रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए और बाद में ठगी का एहसास हुआ की मेरे साथ साईबर ठगी हुयी है। शिकायतकर्ता को फर्जी पहचान और बैंक डिटेल्स के नाम का गलत उपयोग कर अभियुक्त द्वारा डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से उपलब्ध कराये गये विभिन्न बैंक खातो में लगभग कुल 1.45 करोड़ रुपये की धनराशी धोखाधड़ी से जमा करायी गयी।प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत *वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में मामले का प्रवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक श्री स्वप्न किशोर, पुलिस उपाधीक्षक, श्री अंकुश मिश्रा एवं विवेचना निरीक्षक श्री देवेंद्र नवियाल* साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये । साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया। साईबर थाना पुलिस टीम द्वारा अभियोग में प्रकाश में आए बैंक खातों तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन किया गया । पुलिस टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के मुख्य आरोपी व मास्टर माइण्ड अभियुक्तो जतिन्दर कुमार, पुत्र बलवन्त राय, निवासी- मकान संख्या 34A, गली संख्या 4, नूरवाला रोड, न्यू बसंत विहार, बस्ती जोधेवाल, लुधियाना, पंजाब व मनप्रीत सिंह, पुत्र अजीत सिंह, निवासी- हाउस नं 106, बसंत विहार, नूरवाला रोड, लुधियाना, पंजाबका नाम प्रकाश में आया चिन्हित कर गिरफ्तार किया गया।उक्त गिरफ्तार अभियुक्तो से प्रारम्भिक पूछताछ में अभियुक्तो द्वारा बताया गया कि गिरोह बनाकर फर्जी मोबाइल नंबर, बैंक खाते, व डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर आम जनता के साथ ठगी व घटनाओं को अंजाम देते थे।व स्वयं को सरकारी अधिकारी (CBI, पुलिस, न्यायालय) के रूप में प्रस्तुत करते हुए पीड़ितों को मनी लॉन्ड्रिंग, गिरफ्तारी, या कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती थी। इसके बाद वीडियो कॉल या फोन कॉल के माध्यम से डराकर पीड़ितों से उनके बैंक डिटेल्स, एफ.डी./पी.पी.एफ., व अन्य वित्तीय जानकारी प्राप्त कर ली जाती थी। इसके अतिरिक्त प्रकाश में आये अन्य तथ्यों के आधार पर निकट भविष्य में कई अन्य बडे खुलासे होने की भी सम्भावना है।अभियुक्तो के बैंक खाते मे गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित NCRP पोर्टल पर चैक किया गया तो उक्त खाते के विरुद्ध शिकायतें दर्ज होना भी पायी गयी।

